बांधनी कार्यशाला: "रसमंजरी फाउंडेशन द्वारा राजकीय मध्य विद्यालय रेलवे कालोनी सिवान में "
- rasmanjarifoundati
- Oct 8, 2024
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Updated: Oct 9, 2024

रसमंजरी फाउंडेशन, सिवान द्वारा सिवान के सरकारी मध्य विद्यालय में बांधनी कला पर एक विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का नेतृत्व सामुदायिक कलाकार चंदन कुमार श्रीवास्तव ने किया। कार्यशाला में लगभग 40 छात्र-छात्राओं ने भाग लिया, जिन्होंने बांधनी की पारंपरिक तकनीक को सीखने में गहरी रुचि दिखाई।
कार्यशाला की मुख्य विशेषताएँ
इस आयोजन के दौरान रसमंजरी फाउंडेशन ने छात्र-छात्राओं को कपड़े और रंग उपलब्ध कराए। प्रशिक्षकों के मार्गदर्शन में छात्रों और शिक्षकों ने मिलकर बांधनी तकनीक पर प्रयोग किया। कपड़े के छोटे-छोटे हिस्सों को धागों से बांधकर उन्हें विभिन्न रंगों में डुबोया गया, जिससे जटिल और आकर्षक डिजाइन बने। बांधनी की इस पारंपरिक विधि ने छात्रों को रचनात्मकता और सांस्कृतिक धरोहर को एक साथ अनुभव करने का अवसर प्रदान किया।
कार्यशाला का उद्देश्य और महत्व
कार्यशाला का प्रमुख उद्देश्य इस पुरानी रंगाई की कला को न केवल छात्र-छात्राओं तक पहुँचाना था, बल्कि उन्हें इसके ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व से भी अवगत कराना था। सिवान का भी कपड़ों के रंगाई और छपाई का अपना एक स्वर्णिम इतिहास रहा हैं। बांधनी कला भारत की एक प्राचीन और समृद्ध शिल्प कला है, जिसमें रंगों और पैटर्न का खास महत्व होता है। यह कार्यशाला छात्र-छात्राओं को रचनात्मक रूप से इस कला को समझने और अपनी कलात्मक क्षमताओं को विकसित करने के लिए प्रेरित करने का एक माध्यम बना।
सफलता और प्रभाव
कार्यशाला के दौरान छात्र-छात्राओं और शिक्षकों में अद्वितीय उत्साह देखने को मिला। छात्र-छात्राओं ने न केवल कला के तकनीकी पहलुओं को सीखा, बल्कि अपनी कल्पना शक्ति का भी भरपूर प्रयोग किया। इस आयोजन ने न सिर्फ छात्र-छात्राओं में कलात्मक अभिव्यक्ति को प्रोत्साहित किया, बल्कि शिक्षकों को भी इस तरह की शिक्षण पद्धतियों में भाग लेने के लिए प्रेरित किया।
यह पहल न केवल एक पारंपरिक कला रूप को पुनर्जीवित करने में सफल रही, बल्कि छात्र-छात्राओं को नई कलात्मक कुशलताएँ प्रदान करने में भी मददगार साबित हुई। इस कार्यशाला के माध्यम से रसमंजरी फाउंडेशन ने सिवान के छात्र-छात्राओं में सांस्कृतिक धरोहर के प्रति जागरूकता बढ़ाई और उन्हें एक नया कौशल सिखाने का अवसर प्रदान किया।
निष्कर्ष
बांधनी कार्यशाला का आयोजन रसमंजरी फाउंडेशन द्वारा एक अत्यंत सफल प्रयास रहा। यह न केवल छात्रों छात्र-छात्राओं को एक नई कला सिखाने का माध्यम बना, बल्कि उन्हें भारतीय संस्कृति और शिल्प कला की गहरी समझ प्रदान की। यह पहल शिक्षा और कला के संगम का एक बेहतरीन उदाहरण थी, जिसने सिवान के छात्र-छात्राओं को रचनात्मकता और संस्कृति से जुड़ने का एक अनूठा अवसर दिया।











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